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ग़ज़ल
वक़्त की भीगी हवा में साहिलों की रेत पर अब
उम्र-ए-रफ़्ता के बिखरते नक़्श-ए-पा को ढूँडते हैं
फ़रह इक़बाल
ग़ज़ल
'इश्क़ की चाँदनी रातें मुझे याद आती हैं
उम्र-ए-रफ़्ता को मिरी मुझ से मिला दे आ कर
अख़्तर शीरानी
ग़ज़ल
इसे आँसू न कह इक याद-ए-अय्याम-गुज़िश्ता है
मिरी उम्र-ए-रवाँ को उम्र-ए-रफ़्ता का सलाम आया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
उसे आँसू न कह इक याद-ए-अय्याम-गुज़िश्ता है
मिरी उम्र-ए-रवाँ को उम्र-ए-रफ़्ता का सलाम आया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
चाहत में क्या दुनिया-दारी इश्क़ में कैसी मजबूरी
लोगों का क्या समझाने दो उन की अपनी मजबूरी