लुत्फ़ुर्रहमान
ग़ज़ल 21
अशआर 9
किस से उम्मीद करें कोई इलाज-ए-दिल की
चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तमाम उम्र मिरा मुझ से इख़्तिलाफ़ रहा
गिला न कर जो कभी तेरा हम-नवा न हुआ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तिरा तो क्या कि ख़ुद अपना भी मैं कभी न रहा
मिरे ख़याल से ख़्वाबों का सिलसिला ले जा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं ख़ुद ही अपने तआक़ुब में फिर रहा हूँ अभी
उठा के तू मेरी राहों से रास्ता ले जा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं दूर हो के भी उस से कभी जुदा न हुआ
कि उस के बाद किसी का भी आश्ना न हुआ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए