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ताहिर अदीम

1973 | जर्मनी

ताहिर अदीम

ग़ज़ल 27

अशआर 7

आँखों में है कैसा पानी बंद है क्यूँ आवाज़

अपने दिल से पूछो जानाँ मेरी चुप का राज़

उसे भी पर्दा-ए-तहज़ीब को गिराना है

मुझे भी पैकर-ए-नायाब से निकलना है

नहीं है रहना उसे भी बहार में 'ताहिर'

मुझे भी मौसम-ए-शादाब से निकलना है

फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँ

मिरे अंदर का इंसाँ तक ख़फ़ा है इंतिहा है

हर एक रस्ता-ए-पायाब से निकलना है

सराब-ए-उम्र के हर बाब से निकलना है

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