असा-ए-मूसा
हज़रत मूसा कोह-ए-तूर पर आग की तलाश में गए थे। जहाँ उन्हें ईश्वर से बात-चीत का गौरव प्राप्त हुआ। उसी अवसर पर उन्हें नबुव्वत (ईश्वरदूत बनाया गया) मिली। कहा जाता है कि वादी-ए-ऐमन के पेड़ से आवाज़ आई “ऐ मूसा तेरे दाहिने हाथ में क्या है” मूसा ने उत्तर दिया ये मेरी लाठी है। बकरियाँ हाँकते वक्त इसका सहारा लिया करता हूँ और उन के लिए पत्ते भी झाड़ लेता हूँ। फिर आवाज आई “मूसा इस लाठी को ज़मीन पर डाल दो” मूसा ने जैसे ही अपनी लाठी ज़मीन पर डाली वह साँप बन कर दौड़ने लगी। मूसा घबरा गए और भागने लगे। ईश्वर ने कहा “ मूसा उसे बिना भय के पकड़ लो हम उसे पहले वाले रूप में बदल देंगे”। ईश्वर ने मूसा की इसी लाठी को उनके लिए ईश्वरदूत की निशानी एंव चमत्कार के रूप में बदल दिया था।
उसके बाद हज़रत मूसा ने ईश्वर की ओर से लोगों को एकेश्वरवाद में विश्वास करने के लिए कहा। एकेश्वरवाद की ओर बुलाने के लिए वो फ़िरऔन के दरबार में भी गए। फ़िरऔन स्वयं के ईश्वर होने का दावा कर चुका था। मूसा ने उसे एक ईश्वर की ओर आमंत्रण दिया और अपने को ईश्वरदूत बतलाया। फ़िरऔन ने जब मूसा से उन के ईश्वरदूत होने का प्रमाण मांगा तो उन्हों ने भरे दरबार में अपनी लाठी डाल दी जो साँप बन कर दौड़ने लगी। फ़िरऔन ने मूसा के इस चमत्कार और ईश्वरदूत के इस प्रतीक को उन की जादूगरी कहा और अपने दरबार के जादूगरों से मुक़ाबले की चुनौती दी। फ़िरऔन के जादूगरों ने बहुत सारी लाठिया, रस्सियाँ और बान पृथ्वी पर डाले जो साँप बन कर दौड़ने लगे। मूसा एक बार फिर डर गए। ईश्वर ने उन्हें आश्वासन दिया और विजयी होने ख़ुश-ख़बरी भी सुनाई। मूसा ने जैसे ही अपनी लाठी ज़मीन पर डाली वह एक बड़ा अजगर बन गया जिस ने सारे साँपों को निगल गया। असा-ए-मूसा के इस जलवे को देख कर जादूगर भौंचक्के रह गए और मूसा के अनुयायी बन गए। फ़िरऔन फिर भी अपनी हठधर्मी पर अड़ा रहा। मूसा की लाठी की इस विशेषता की बिना पर उसे अज़दर-मूसा भी कहा गया है।
असा-ए-मूसा का एक और चमत्कार उस मौक़े पर प्रकट हुआ जब मूसा अपनी क़ौम के लोगों को ले कर मिस्र से पवित्र धरती की ओर निकले। मूसा और उन के मानने वालों के मिस्र से निकलने का संदेश जब फ़िरऔन को मिला तो वो अपनी फ़ौज लेकर उन के पीछे चला। रास्ते में बनू-इसराईल के आगे “क़ुलज़ुम” का दरिया था और पीछे फ़िरऔन की फ़ौज। असमंजस की इस स्थिति में बनू-इसराईल मूसा को बुरा भला कहने लगे। उसी समय मूसा ने ईश्वर की आज्ञा से अपनी लाठी को दरिया की लहरों पर मारा। दरिया में रास्ता बन गया। मूसा की क़ौम दरिया पार कर गई। उन का पीछा करते हुए फ़िरऔन की फ़ौज भी उसी रास्ते पर चल पड़ी ईश्वर की आज्ञा से रास्ता फिर अपनी पहली सी हालत में लौट आया और फ़िरऔन का लश्कर डूब गया।
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