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अब्दुल हमीद अदम

1909 - 1981 | पाकिस्तान

लोकप्रिय शायर, ज़िंदगी और मोहब्बत से संबंधित रुमानी शायरी के लिए विख्यात।

लोकप्रिय शायर, ज़िंदगी और मोहब्बत से संबंधित रुमानी शायरी के लिए विख्यात।

अब्दुल हमीद अदम

ग़ज़ल 84

अशआर 108

और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'

हाँ ज़रा नब्ज़ किसी वक़्त ठहर जाती है

छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे

आसाँ को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूँडते हैं

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जिस ने मह-पारों के दिल पिघला दिए

वो तो मेरी शाएरी थी मैं था

मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'

वो इक नज़र में इतने सवालात कर गए

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ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया

मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता

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क़ितआ 55

पुस्तकें 34

चित्र शायरी 10

 

वीडियो 26

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अब्दुल हमीद अदम

अब्दुल हमीद अदम

अब्दुल हमीद अदम

अब्दुल हमीद अदम

अब्दुल हमीद अदम

अब्दुल हमीद अदम

Hans Ke Bola Karo Bulaya Karo

अब्दुल हमीद अदम

एक ना-मक़बूल क़ुर्बानी हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो

अब्दुल हमीद अदम

हँस के बोला करो बुलाया करो

अब्दुल हमीद अदम

हँस के बोला करो बुलाया करो

अब्दुल हमीद अदम

ऑडियो 10

आगही में इक ख़ला मौजूद है

ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता

कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं

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