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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Ahmad Mushtaq's Photo'

पाकिस्तान के सबसे विख्यात और प्रतिष्ठित आधुनिक शायरों में से एक, अपनी नव-क्लासिकी लय के लिए प्रसिद्ध।

पाकिस्तान के सबसे विख्यात और प्रतिष्ठित आधुनिक शायरों में से एक, अपनी नव-क्लासिकी लय के लिए प्रसिद्ध।

अहमद मुश्ताक़

ग़ज़ल 80

अशआर 72

इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे

और अब कोई कहीं कोई कहीं रहता है

उम्र भर दुख सहते सहते आख़िर इतना तो हुआ

अपनी चुप को देख लेता हूँ सदा बनते हुए

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किसी जानिब नहीं खुलते दरीचे

कहीं जाता नहीं रस्ता हमारा

बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा

आँख से हो कर गाल भिगो कर मिट्टी में मिल जाएगा

मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है

वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है

लेख 1

 

पुस्तकें 13

चित्र शायरी 26

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भारती विश्वनाथन

चाँद इस घर के दरीचों के बराबर आया

असद अमानत अली

चाँद इस घर के दरीचों के बराबर आया

अहमद मुश्ताक़

मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है

अज्ञात

ऑडियो 38

अब मंज़िल-ए-सदा से सफ़र कर रहे हैं हम

अब वो गलियाँ वो मकाँ याद नहीं

अश्क दामन में भरे ख़्वाब कमर पर रक्खा

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