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दिल शाहजहाँपुरी

1875 - 1959 | शाहजहाँपुर, भारत

प्रसिद्ध शायर, अमीर मीनाई के शागिर्द. ‘दर्द-ए-दिल’ नामक उपन्यास भी लिखा

प्रसिद्ध शायर, अमीर मीनाई के शागिर्द. ‘दर्द-ए-दिल’ नामक उपन्यास भी लिखा

दिल शाहजहाँपुरी के शेर

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हुस्न-ए-ख़ुद-बीं को हुआ और सिवा नाज़-ए-हिजाब

शौक़ जब हद से बढ़ा चश्म-ए-तमाशाई का

आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम

मुब्तला ज़िंदगी-ए-दिल इन्हीं औहाम में है

असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश

ये मुरक़्क़ा है मिरी हसरत-ए-गोयाई का

मैं ग़र्क़ हो रहा था कि तूफ़ान-ए-इश्क़ ने

इक मौज-ए-बे-क़रार को साहिल बना दिया

आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक

गुज़रा है जो कुछ हम पर तुम ने भी सुना होगा

क्या जाने किस ख़याल से छोड़ा हाल-ए-ज़ार

मुझ पर बड़ा करम है मिरे चारासाज़ का

मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है

साक़ी-ए-मस्त अजब कैफ़ तिरे जाम में है

वक़्त-ए-रुख़्सत तसल्लियाँ दे कर

और भी तुम ने बे-क़रार किया

ये भीगी रात ये ठंडा समाँ ये कैफ़-ए-बहार

ये कोई वक़्त है पहलू से उठ के जाने का

शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है

बड़ी ही ग़फ़लत में शब गुज़ारी कहाँ पहुँच कर सहर हुई है

हम को बेचैन किए जाते हैं

हाए क्या शय वो लिए जाते हैं

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