aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1875 - 1959 | शाहजहाँपुर, भारत
प्रसिद्ध शायर, अमीर मीनाई के शागिर्द. ‘दर्द-ए-दिल’ नामक उपन्यास भी लिखा
असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश
ये मुरक़्क़ा है मिरी हसरत-ए-गोयाई का
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
गुज़रा है जो कुछ हम पर तुम ने भी सुना होगा
आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम
मुब्तला ज़िंदगी-ए-दिल इन्हीं औहाम में है
क्या जाने किस ख़याल से छोड़ा प हाल-ए-ज़ार
मुझ पर बड़ा करम है मिरे चारासाज़ का
मैं ग़र्क़ हो रहा था कि तूफ़ान-ए-इश्क़ ने
इक मौज-ए-बे-क़रार को साहिल बना दिया
Aakhri Fariyad
Dil Shahjahanpuri : Hayat Aur Adabi Khidmaat
1988
Naghma-e-Dil
Tarana-e-Dil
1955
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