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Ghulam Mohammad Qasir's Photo'

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

1941 - 1999 | डेरा इस्माइल ख़ान, पाकिस्तान

पाकिस्तान के लोकप्रिय और प्रतिष्ठित शयार

पाकिस्तान के लोकप्रिय और प्रतिष्ठित शयार

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ग़ज़ल 42

नज़्म 8

अशआर 48

उसी की शक्ल मुझे चाँद में नज़र आए

वो माह-रुख़ जो लब-ए-बाम भी नहीं आता

किताब-ए-आरज़ू के गुम-शुदा कुछ बाब रक्खे हैं

तिरे तकिए के नीचे भी हमारे ख़्वाब रक्खे हैं

तिरी आवाज़ को इस शहर की लहरें तरसती हैं

ग़लत नंबर मिलाता हूँ तो पहरों बात होती है

नाम लिख लिख के तिरा फूल बनाने वाला

आज फिर शबनमीं आँखों से वरक़ धोता है

हिज्र के तपते मौसम में भी दिल उन से वाबस्ता है

अब तक याद का पत्ता पत्ता डाली से पैवस्ता है

पुस्तकें 3

 

वीडियो 26

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Bas ek ye manzar tah-e-aflaq na badle

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Ek tha gair yahaan ek mera hamsaya tha

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Ghulam Muhammad Qasir narrating a Natia nazm in khana e farhag e jamhuri o Islami Iran Peshawar 1997

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Malboos ek silvat men gaii

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Reciting own poetry

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

Urdu Ghazal Ghulam Muhammad Qasir Adel Key Manshoor Main Termeem Na Ker

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

शौक़ बरहना-पा चलता था और रस्ते पथरीले थे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हिज्र के तपते मौसम में भी दिल उन से वाबस्ता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बन में वीराँ थी नज़र शहर में दिल रोता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

मिलने की हर आस के पीछे अन-देखी मजबूरी थी

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर एक पल की उदासी को जानता है तो आ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ऑडियो 15

आफ़ाक़ में फैले हुए मंज़र से निकल कर

किताब-ए-आरज़ू के गुम-शुदा कुछ बाब रक्खे हैं

ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

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