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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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इब्न-ए-सफ़ी

1928 - 1980 | कराची, पाकिस्तान

उर्दू के सबसे बड़े जासूसी उपन्यासकार जो पहले ' असरार नारवी ' के नाम से शायरी करते थे।

उर्दू के सबसे बड़े जासूसी उपन्यासकार जो पहले ' असरार नारवी ' के नाम से शायरी करते थे।

इब्न-ए-सफ़ी

अशआर 11

चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है

चाँद पर चाँदनी नहीं होती

डूब जाने की लज़्ज़तें मत पूछ

कौन ऐसे में पार उतरा है

बुझ गया दिल तो ख़राबी हुई है

फिर किसी शोला-जबीं से मिलिए

बिल-आख़िर थक हार के यारो हम ने भी तस्लीम किया

अपनी ज़ात से इश्क़ है सच्चा बाक़ी सब अफ़्साने हैं

लिखने को लिख रहे हैं ग़ज़ब की कहानियाँ

लिक्खी जा सकी मगर अपनी ही दास्ताँ

ग़ज़ल 9

नज़्म 1

 

पुस्तकें 48

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ऑडियो 9

आज की रात कटेगी क्यूँ कर साज़ न जाम न तो मेहमान

कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ

कुछ भी तो अपने पास नहीं जुज़-मता-ए-दिल

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