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जोश मलीहाबादी के शेर
तबस्सुम की सज़ा कितनी कड़ी है
गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है
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वहाँ से है मिरी हिम्मत की इब्तिदा वल्लाह
जो इंतिहा है तिरे सब्र आज़माने की
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टैग : सब्र
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इक न इक ज़ुल्मत से जब वाबस्ता रहना है तो 'जोश'
ज़िंदगी पर साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ क्यूँ न हो
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मिले जो वक़्त तो ऐ रह-रव-ए-रह-ए-इक्सीर
हक़ीर ख़ाक से भी साज़-बाज़ करता जा
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सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही का
जब उस ने वादा किया हम ने ए'तिबार किया
अब ऐ ख़ुदा इनायत-ए-बेजा से फ़ाएदा
मानूस हो चुके हैं ग़म-ए-जावेदाँ से हम
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वो करें भी तो किन अल्फ़ाज़ में तेरा शिकवा
जिन को तेरी निगह-ए-लुत्फ़ ने बर्बाद किया
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टैग : शिकवा
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काम है मेरा तग़य्युर नाम है मेरा शबाब
मेरा ना'रा इंक़िलाब ओ इंक़िलाब ओ इंक़िलाब
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टैग : इंक़िलाब
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महफ़िल-ए-इश्क़ में वो नाज़िश-ए-दौराँ आया
ऐ गदा ख़्वाब से बेदार कि सुल्ताँ आया
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टैग : बेदार
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आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब
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टैग : अहबाब
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गुज़र रहा है इधर से तो मुस्कुराता जा
चराग़-ए-मज्लिस-ए-रुहानियाँ जलाता जा
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टैग : मुस्कुराहट
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शबाब-ए-रफ़्ता के क़दम की चाप सुन रहा हूँ मैं
नदीम अहद-ए-शौक़ की सुनाए जा कहानियाँ
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इस दिल में तिरे हुस्न की वो जल्वागरी है
जो देखे है कहता है कि शीशे में परी है
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टैग : हुस्न
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हम गए थे उस से करने शिकवा-ए-दर्द-ए-फ़िराक़
मुस्कुरा कर उस ने देखा सब गिला जाता रहा
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इंसान के लहू को पियो इज़्न-ए-आम है
अंगूर की शराब का पीना हराम है
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बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया
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टैग : ईद
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हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी
और उन की तरफ़ ख़ुदाई है
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हाँ आसमान अपनी बुलंदी से होशियार
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्ताँ से हम
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अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर की
वो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया
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टैग : घर
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हम ऐसे अहल-ए-नज़र को सुबूत-ए-हक़ के लिए
अगर रसूल न होते तो सुब्ह काफ़ी थी
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टैग : सुबह
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दुनिया ने फ़सानों को बख़्शी अफ़्सुर्दा हक़ाएक़ की तल्ख़ी
और हम ने हक़ाएक़ के नक़्शे में रंग भरा अफ़्सानों का
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मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया
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अल्लाह रे हुस्न-ए-दोस्त की आईना-दारियाँ
अहल-ए-नज़र को नक़्श-ब-दीवार कर दिया
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सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उस ने ये इरशाद किया
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया
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इधर तेरी मशिय्यत है उधर हिकमत रसूलों की
इलाही आदमी के बाब में क्या हुक्म होता है
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टैग : इंसान
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नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनूज़
बे-दर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं हनूज़
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ज़रा आहिस्ता ले चल कारवान-ए-कैफ़-ओ-मस्ती को
कि सत्ह-ए-ज़ेहन-ए-आलम सख़्त ना-हमवार है साक़ी
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एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
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टैग : इज़हार
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हाँ कौन पूछता है ख़ुशी का नहुफ़्ता राज़
फिर ग़म का बार दिल पे उठाए हुए हैं हम
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हर एक काँटे पे सुर्ख़ किरनें हर इक कली में चराग़ रौशन
ख़याल में मुस्कुराने वाले तिरा तबस्सुम कहाँ नहीं है
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मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
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टैग : बचपन
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इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया
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कश्ती-ए-मय को हुक्म-ए-रवानी भी भेज दो
जब आग भेज दी है तो पानी भी भेज दो
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इतना मानूस हूँ फ़ितरत से कली जब चटकी
झुक के मैं ने ये कहा मुझ से कुछ इरशाद किया?
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बिगाड़ कर बनाए जा उभार कर मिटाए जा
कि मैं तिरा चराग़ हूँ जलाए जा बुझाए जा
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पहचान गया सैलाब है उस के सीने में अरमानों का
देखा जो सफ़ीने को मेरे जी छूट गया तूफ़ानों का
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अब दिल का सफ़ीना क्या उभरे तूफ़ाँ की हवाएँ साकिन हैं
अब बहर से कश्ती क्या खेले मौजों में कोई गिर्दाब नहीं
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सिर्फ़ इतने के लिए आँखें हमें बख़्शी गईं
देखिए दुनिया के मंज़र और ब-इबरत देखिए
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फ़ुग़ाँ कि मुझ ग़रीब को हयात का ये हुक्म है
समझ हर एक राज़ को मगर फ़रेब खाए जा
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कोई आया तिरी झलक देखी
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़
मिला जो मौक़ा तो रोक दूँगा 'जलाल' रोज़-ए-हिसाब तेरा
पढूँगा रहमत का वो क़सीदा कि हँस पड़ेगा अज़ाब तेरा
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किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होना
क़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
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टैग : जवानी
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उस ने वा'दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का
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टैग : स्वागत
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जितने गदा-नवाज़ थे कब के गुज़र चुके
अब क्यूँ बिछाए बैठे हैं हम बोरिया न पूछ
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दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
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