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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Krishn Bihari Noor's Photo'

कृष्ण बिहारी नूर

1926 - 2003 | लखनऊ, भारत

लोकप्रिय शायर, लखनवी भाषा-संस्कृति के नुमाइंदे।

लोकप्रिय शायर, लखनवी भाषा-संस्कृति के नुमाइंदे।

कृष्ण बिहारी नूर

ग़ज़ल 29

अशआर 20

आइना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ मगर

आइना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में

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इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं

मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं

चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो

आइना झूट बोलता ही नहीं

तिश्नगी के भी मक़ामात हैं क्या क्या यानी

कभी दरिया नहीं काफ़ी कभी क़तरा है बहुत

मैं जिस के हाथ में इक फूल दे के आया था

उसी के हाथ का पत्थर मिरी तलाश में है

पुस्तकें 6

 

वीडियो 6

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Nazar mila na sake us se us nigaah ke baad

कृष्ण बिहारी नूर

Reading his poetry at a mushaira

कृष्ण बिहारी नूर

Wo kya hai, kaun hai, kaise koi nazar jaane

कृष्ण बिहारी नूर

इक ग़ज़ल उस पे लिखूँ दिल का तक़ाज़ा है बहुत

कृष्ण बिहारी नूर

ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं

कृष्ण बिहारी नूर

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