संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल10
नज़्म35
शेर3
ई-पुस्तक26
चित्र शायरी 2
उद्धरण5
ऑडियो 4
वीडियो3
लेख1
गेलरी 1
ब्लॉग1
अन्य
गीत5
मीराजी के उद्धरण
गीत ही तो हमारी ज़िंदगी का रस हैं। जैसे धरती पर सावन आता है हमारी ज़िंदगी पर भी चार दिन के लिए बसंत रुत की बहार छा जाती है, कोई मन-मोहिनी सूरत मन को भा जाती है। जब दुनिया प्रेमी और पीतम को मिलने नहीं देती तो दिल का साज़ तड़प उठता है और क़ुदरत गीत बनाती है।
-
टैग : संगीत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
आए दिन दुनिया और ज़िंदगी के झमेले हमें अपने में ऐसा उलझाते हैं कि हमारे दिलों पर एक थकन बुरी तरह क़ाबू पा लेती है। हमें कोई बात भली नहीं मालूम होती। हम अपने कठिन हालात से पनपने के क़ाबिल नहीं रहते। ऐसे में गीत ही हैं कि हमें इन बंधनों से छुड़ाते हैं और ताज़ा-दम करके फिर से दुनिया और ज़िंदगी के झमेलों के मुक़ाबिल उन्हें जीत लेने को ला खड़ा करते हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हर खेल की दिलचस्पी वहीं तक है जब तक दिल ये समझे कि ये खेल सबसे पहले हमीं खेल रहे हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जब दुनिया प्रेमी और पीतम को मिलने नहीं देती तो दिल का साज़ तड़प उठता है और क़ुदरत गीत बनाती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सबसे पहले आवाज़ बनी, आवाज़ के उतार-चढ़ाओ से सर बने, सुरों के संजोग से बोल ने जन्म लिया और फिर राग की डोरी में बंध कर बोल गीत बन गए।
-
टैग : संगीत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया