मोहम्मद दीन तासीर
ग़ज़ल 8
नज़्म 6
अशआर 9
जिस तरह हम ने रातें काटी हैं
उस तरह हम ने दिन गुज़ारे हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम
एक दरिया के दो किनारे हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो मिले तो बे-तकल्लुफ़ न मिले तो बे-इरादा
न तरीक़-ए-आश्नाई न रुसूम-ए-जाम-ओ-बादा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हुज़ूर-ए-यार भी आँसू निकल ही आते हैं
कुछ इख़्तिलाफ़ के पहलू निकल ही आते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए