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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Owais Ahmad Dauran's Photo'

ओवेस अहमद दौराँ

1938 | बिहार, भारत

प्रगतिशील शायर, लेखक, इक बेवफ़ा के नाम जैसी नज़्मों और अपनी आत्मकथा मेरी कहानी के लिए प्रसिद्ध

प्रगतिशील शायर, लेखक, इक बेवफ़ा के नाम जैसी नज़्मों और अपनी आत्मकथा मेरी कहानी के लिए प्रसिद्ध

ओवेस अहमद दौराँ

ग़ज़ल 13

नज़्म 9

अशआर 12

कुछ दर्द के मारे हैं कुछ नाज़ के हैं पाले

कुछ लोग हैं हम जैसे कुछ लोग हैं तुम जैसे

बे-दारों की दुनिया कभी लुटती नहीं 'दौराँ'

इक शम्अ लिए तुम भी यहाँ जागते रहना

ये सेहन-ए-गुलिस्ताँ नहीं मक़्तल है रफ़ीक़ो!

हर शाख़ है तलवार यहाँ, जागते रहना

वो लहू पी कर बड़े अंदाज़ से कहता है ये

ग़म का हर तूफ़ान उस के घर के बाहर आएगा

शायद किसी की याद का मौसम फिर गया

पहलू में दिल की तरह धड़कने लगी है शाम

पुस्तकें 6

 

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