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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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क़ैसर शमीम

ग़ज़ल 10

अशआर 6

उस के आँगन में रौशनी थी मगर

घर के अंदर बड़ा अँधेरा था

किसी मंज़िल में भी हासिल हुआ दिल को क़रार

ज़िंदगी ख़्वाहिश-ए-नाकाम ही करते गुज़री

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मौसम 'अजीब रहता है दिल के दयार का

आगे हैं लू के झोंके भी ठंडी हवा के बा'द

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सब्ज़ मौसम से मुझे क्या लेना

शाख़ से अपनी जुदा हूँ बाबा

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साज़ से मेरे ग़लत नग़्मों की उम्मीद कर

आग की आग है दिल में तो धुआँ क्यूँकर हो

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पुस्तकें 8

 

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