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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shamim Hanafi's Photo'

शमीम हनफ़ी

1939 - 2021 | दिल्ली, भारत

अग्रणी उर्दू आलोचक और भारतीय संस्कृति के विद्वान

अग्रणी उर्दू आलोचक और भारतीय संस्कृति के विद्वान

शमीम हनफ़ी

लेख 50

ड्रामा 4

 

अशआर 6

तमाम उम्र नए लफ़्ज़ की तलाश रही

किताब-ए-दर्द का मज़मूँ था पाएमाल ऐसा

बंद कर ले खिड़कियाँ यूँ रात को बाहर देख

डूबती आँखों से अपने शहर का मंज़र देख

बुलंदियाँ आसमाँ की सूरत ज़मीन के पाँव चूमती हैं

ज़मीन शायद बुलंद-तर थी ज़मीन ही में उतर गया वो

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मैं ने चाहा था कि लफ़्ज़ों में छुपा लूँ ख़ुद को

ख़ामुशी लफ़्ज़ की दीवार गिरा देती है

शाम ने बर्फ़ पहन रक्खी थी रौशनियाँ भी ठंडी थीं

मैं इस ठंडक से घबरा कर अपनी आग में जलने लगा

ग़ज़ल 31

नज़्म 1

 

पुस्तकें 545

वीडियो 50

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

Aana usika bazm se jana usi ka hai

शमीम हनफ़ी

Ab qais hai na koi aabla paa hai

शमीम हनफ़ी

Aise kai sawaal hain jinka jawab kuch nahi

शमीम हनफ़ी

Bas ek wahem satata hai baar baar mujhe

शमीम हनफ़ी

Har naksh e Nawa laut ke jaane ke liye tha

शमीम हनफ़ी

Is tarah ishq me barbaad nahi reh sakte

शमीम हनफ़ी

Kai raato se bas ek shor sa kuch sar me rehta hai

शमीम हनफ़ी

Kitab padhte rahe aur udaas hote rahe

Professor Shamim Hanfi was born on 17th May 1939 in Sultanpur, Uttar Pradesh to a renowned advocate Mohd. Yaseen Siddiqui. Early life was spent in Sultanpur but had to move to Allahabad for study purpose where he came in contact with Firaq Sb who left a profound impression upon him. He had served as a faculty for Aligarh Muslim University before Joining Jamia Millia Islamia. He is now Professor Emeritus at the same University. He is reciting his Ghazal at Rekhta Studio. शमीम हनफ़ी

Phir lautke is bazm me aane ke nahi hain

शमीम हनफ़ी

Roz o shab ki guthiyaan aankhon ko suljhane na de

शमीम हनफ़ी

Shaam Aai Sehn e Jaam e Khauf ka bistar laga

शमीम हनफ़ी

Shola shola si hawa sheesha e shab se pucho

शमीम हनफ़ी

Tilism hai ke tamasha hai kaynaat uski

शमीम हनफ़ी

Zere zameen dabi hui

शमीम हनफ़ी

बस एक वहम सताता है बार बार मुझे

शमीम हनफ़ी

लक़ड़हारे तुम्हारे खेल अब अच्छे नहीं लगते

शमीम हनफ़ी

शमीम हनफ़ी

aanaa usii kaa bazm se jaanaa usii kaa hai

शमीम हनफ़ी

ab qais hai ko.ii na ko.ii aabla-paa hai

शमीम हनफ़ी

aise ka.ii savaal hai.n jin kaa javaab kuchh nahii.n

शमीम हनफ़ी

bas ek vahm sataataa hai baar baar mujhe

शमीम हनफ़ी

har naqsh-e-navaa lauT ke jaane ke liye thaa

शमीम हनफ़ी

is tarah ishq me.n barbaad nahii.n rah sakte

शमीम हनफ़ी

ka.ii raato.n se bas ik shor saa kuchh sar me.n rahtaa hai

शमीम हनफ़ी

kitaab pa.Dhte rahe aur udaas hote rahe

शमीम हनफ़ी

phir lauT ke is bazm me.n aane ke nahii.n hai.n

शमीम हनफ़ी

roz o shab kii gutthiyaa.n aa.nkho.n ko suljhaane na de

शमीम हनफ़ी

shaam aa.ii sehn-e-jaa.n me.n KHauf kaa bistar lagaa

शमीम हनफ़ी

sho.ala sho.ala thii havaa shiisha-e-shab se puuchho

शमीम हनफ़ी

tilism hai ki tamaashaa hai kaa.enaat us kii

शमीम हनफ़ी

zer-e-zamii.n dabii hu.ii KHaak ko aasaa.n kaho

शमीम हनफ़ी

इस तरह इश्क़ में बर्बाद नहीं रह सकते

शमीम हनफ़ी

कभी सहरा में रहते हैं कभी पानी में रहते हैं

शमीम हनफ़ी

नीले पीले सियाह सुर्ख़ सफ़ेद सब थे शामिल इसी तमाशे में

शमीम हनफ़ी

बंद कर ले खिड़कियाँ यूँ रात को बाहर न देख

शमीम हनफ़ी

लक़ड़हारे तुम्हारे खेल अब अच्छे नहीं लगते

शमीम हनफ़ी

वो एक शोर सा ज़िंदाँ में रात भर क्या था

शमीम हनफ़ी

शोला शोला थी हवा शीशा-ए-शब से पूछो

शमीम हनफ़ी

सूरज धीरे धीरे पिघला फिर तारों में ढलने लगा

शमीम हनफ़ी

ऑडियो 20

अब क़ैस है कोई न कोई आबला-पा है

आना उसी का बज़्म से जाना उसी का है

इस तरह इश्क़ में बर्बाद नहीं रह सकते

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