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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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शुजा ख़ावर

1948 - 2012 | दिल्ली, भारत

भूतपूर्व आई.पी .एस अधिकारी जिन्होने आपनी नौकरी बीच में ही छोड़ दी थी।

भूतपूर्व आई.पी .एस अधिकारी जिन्होने आपनी नौकरी बीच में ही छोड़ दी थी।

शुजा ख़ावर

ग़ज़ल 44

अशआर 36

घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना

फिर सफ़र नाकाम हो जाए तो घर की सोचना

जैसा मंज़र मिले गवारा कर

तब्सिरे छोड़ दे नज़ारा कर

ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है

उस तरफ़ जाना नहीं बिल्कुल जिधर की सोचना

मिरे हालात को बस यूँ समझ लो

परिंदे पर शजर रक्खा हुआ है

या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों

या जिन्हें ख़ामोश रहने की सज़ा मालूम है

पुस्तकें 22

ऑडियो 11

अब तेरे लिए हैं न ज़माने के लिए हैं

उधर तो दार पर रक्खा हुआ है

उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या

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