हाए कितना लतीफ़ है वो ग़म
जिस ने बख़्शा है ज़िंदगी का शुऊर
चन्द्रप्रकाश जौहर का शुमार मुशायरों के लोकप्रिय शायरों में होता था। उनकी पैदाइश प्रतिभाशील, धरती बिजनौर में 1933 में हुई। उनके पिता रामचन्द्र शे’र तो नहीं कहते थे लेकिन शे’र सुनने और पढ़ने से दिलचस्पी थी। वह स्थानीय मुशायरों में श्रोता के रूप में ज़रूर जाते थे। चन्द्र प्रकाश जौहर की परवरिश शायरी के उसी माहौल में हुई और शे’र कहने लगे। प्रसिद्ध शायर इज़हार हुसैन ख़ाँ इज़हार रामपुरी से त्रुटियाँ ठीक कराते थे और विधिवत कई विधाओं में शायरी करने लगे।