राहुल झा के शेर
कुछ इस अदा से मोहब्बत-शनास होना है
ख़ुशी के बाब में मुझ को उदास होना है
उस ने इक बार तो झाँका भी था मुझ में लेकिन
उस से देखी न गई वुसअत-ए-तन्हाई मिरी
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तुम्हारी गुफ़्तुगू से भी अज़ीज़ है मुझ को
अकेले बैठना और ख़ुद पे तब्सिरा करना
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मैं आज सोग मनाना सिखाने वाला हूँ
इधर को आएँ जिन्हें महव-ए-यास होना है
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