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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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15 चुनिंदा हास्य कविताएँ

मिज़ाहिया शायरी बयकवक़्त

कई डाइमेंशन रखती है, इस में हंसने हंसाने और ज़िंदगी की तल्ख़ियों को क़हक़हे में उड़ाने की सकत भी होती है और मज़ाह के पहलू में ज़िंदगी की ना-हमवारियों और इन्सानों के ग़लत रवय्यों पर तंज़ करने का मौक़ा भी। तंज़ और मिज़ाह के पैराए में एक तख़्लीक़-कार वो सब कह जाता है जिसके इज़हार की आम ज़िंदगी में तवक़्क़ो भी नहीं की जा सकती। ये शायरी पढ़िए और ज़िंदगी के इन दिल-चस्प इलाक़ों की सैर कीजिए।

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फ़िल्मी इश्क़

मोहब्बत जिस को कहते हैं बड़ी मुश्किल से होती है

ज़रीफ़ जबलपूरी

मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है

मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

ऑनलाइन आशिक़

नेट ईजाद हुआ हिज्र के मारों के लिए

खालिद इरफ़ान

जल्वा-ए-दरबार-ए-देहली

सर में शौक़ का सौदा देखा

अकबर इलाहाबादी

अदीब की महबूबा

तुम्हारी उल्फ़त में हारमोनियम पे 'मीर' की ग़ज़लें गा रहा हूँ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

क्रिकेट मैच

बेज़ार हो गए थे जो शाएर हयात से

साग़र ख़य्यामी

जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी

वो इस कॉलेज की शहज़ादी थी और शाहाना पढ़ती थी

सरफ़राज़ शाहिद

पेन-ड्राईव

ग़ुस्से में बीवी ये बोली शौहर से

अहमद अल्वी

डिब्बों का दूध पी कर बच्चे जो पल रहे हैं

डिब्बों का दूध पी कर बच्चे जो पल रहे हैं

पागल आदिलाबादी

ओ देस से आने वाले बता

क्या अब भी वहाँ का हर शाइ'र

क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद

मैं ने ये कहा कब कि मनाने के लिए आ

मैं ने ये कहा कब कि मनाने के लिए आ

मोहम्मद यूसुफ़ पापा

क्रिकेट और मुशाइरा

मुशाइरे का भी तफ़रीह एम होता है

दिलावर फ़िगार

औरतों की असेंबली

वो शानों पे ज़रकार आँचल उछाले

सय्यद ज़मीर जाफ़री

इश्क़ अब मेल से बे-मेल हुआ जाता है

इश्क़ अब मेल से बे-मेल हुआ जाता है

माचिस लखनवी

नया हाथी

शादियाँ होती थीं जब पहले किसी देहात में

रज़ा नक़वी वाही

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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