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अदीम हाशमी

1946 - 2001 | लाहौर, पाकिस्तान

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर जिन्होंने जन-भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर जिन्होंने जन-भावनाओं को अभिव्यक्ति दी।

अदीम हाशमी

ग़ज़ल 35

नज़्म 1

 

अशआर 19

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा

कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक

मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर

परिंदा जानिब-ए-दाना हमेशा उड़ के आता है

परिंदे की तरफ़ उड़ कर कभी दाना नहीं आता

मिरे हमराह गरचे दूर तक लोगों की रौनक़ है

मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ

वो जो तर्क-ए-रब्त का अहद था कहीं टूटने तो नहीं लगा

तिरे दिल के दर्द को देख कर मिरे दिल में दर्द है किस लिए

वीडियो 5

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ऑडियो 18

आग़ोश-ए-सितम में ही छुपा ले कोई आ कर

आया हूँ संग ओ ख़िश्त के अम्बार देख कर

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

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