आक़िब साबिर के शेर
जो भी है दिल में आप के खुल कर बताइये हमें
कहते हैं आप ठीक हैं रहते हैं बे-क़रार से
फिर वही ख़्वाब वही ज़िद नहीं 'आक़िब-साबिर'
हम उसूलों से बग़ावत नहीं करने वाले
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