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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इदरीस बाबर

1973 | पाकिस्तान

पाकिस्तान के युवा शायर

पाकिस्तान के युवा शायर

इदरीस बाबर

ग़ज़ल 38

अशआर 40

इस अँधेरे में जब कोई भी था

मुझ से गुम हो गया ख़ुदा मुझ में

मैं जिन्हें याद हूँ अब तक यही कहते होंगे

शाहज़ादा कभी नाकाम नहीं सकता

मर गया ख़ास तौर पर मैं भी

जिस तरह आम लोग मरते हैं

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ये किरन कहीं मिरे दिल में आग लगा दे

ये मुआइना मुझे सरसरी नहीं लग रहा

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यहाँ से चारों तरफ़ रास्ते निकलते हैं

ठहर ठहर के हम इस ख़्वाब से निकलते हैं

अश्रा 1

 

पुस्तकें 2

 

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