बात करने का हसीं तौर-तरीक़ा सीखा
हम ने उर्दू के बहाने से सलीक़ा सीखा
मनीष शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) में 1971 में पैदा हुए। ता’लीम सहारनपुर और लखनऊ में हुई जहाँ उन्होंने लखनऊ युनिवर्सिटी से एम़ ए़ (ऐंथ्रोपालजी) किया। 1997 में प्रँत्रीय सिविल सर्विस के लिए चुने गए। मुलाज़िमत के दौरान ही उर्दू लिपि सीखी। शाइ’री का सिलसिला बचपन में घर के माहौल और ख़ून में उठने वाली भाव-विचारों की उथल-पुथल से शुरूअ’ हुआ। पहला ग़ज़ल-संग्रह ‘ख़्वाब पत्थर हो गए’ 2012 और दूसरा ‘रौशनी जारी करो’ 2017 में प्रकाशित। आजकल लखनऊ में कार्यरत।
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