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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : सिकंदर अली वज्द

प्रकाशक : चेतना प्रकाशन लिमिटेड, हैदराबाद

मूल : हैदराबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1952

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : नज़्म

पृष्ठ : 150

सहयोगी : उर्दू आर्ट्स कॉलेज, हैदराबाद

aaftab-e-taza
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लेखक: परिचय

सिकंदर अली नाम, वज्द तख़ल्लुस,1914ई. में औरंगाबाद में पैदा हुए। वहीं आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। उस्मानिया यूनीवर्सिटी से से बी.ए का इम्तिहान पास किया फिर सिवल सर्विस के इम्तिहान में कामयाब हो कर सरकारी नौकरी शुरू की और तरक़्क़ी कर के डिस्ट्रिक्ट सेशन जज के पद तक पहुंचे। “लहू तरंग”, “आफ़ताब ताज़ा”, “औराक़-ए-मुसव्वर”, “ब्याज़-ए-मर्यम”, उनके काव्य संग्रह हैं।

वज्द ने ग़ज़लें भी कहीं जिनका विषयवस्तु हुस्न-ओ-इशक़ और हृदयस्पर्शी घटनाएँ हैं लेकिन वास्तव में वे नज़्म के शायर हैं। उन्होंने अपनी नज़्मों में अपने समय के राजनीतिक मुद्दों और वर्ग संघर्ष को बड़ी ख़ूबसूरती के साथ पेश किया है लेकिन उनकी नज़्में सिर्फ़ इन्ही विषयों तक सीमित नहीं। उनकी शायरी का कैनवस बहुत विस्तृत है। शायर के इर्दगिर्द दूर तक फैली हुई जो ज़िंदगी है शायर ने उससे सामग्री प्राप्त की है। वज्द के अनुसार “हर आर्ट की तरफ़ शायरी भी शायर से पूरे जीवन का अध्ययन करती है जो शायर इस मांग को पूरा नहीं करता उसकी शायरी अतृप्त रह जाती है।” अपनी शायरी के बारे में वज्द फ़रमाते हैं, “मैंने अभिव्यक्ति के लिए क्लासिकी शैली को चुना और काव्य सिद्धांतों का पालन करने की भी पूरी कोशिश की है। शायरी में नए प्रयोग करने की मुझे फ़ुर्सत नहीं मिली। मेरी शायरी, मेरी ज़िंदगी, मनुष्य की महानता और हिंदुस्तान की प्रगति के इतिहास और राजनीति और यहाँ के ललित कलाओं से ताक़त और हुस्न हासिल करती रही है।” “रक़्क़ासा”, “नीली नागिन”, “आसार-ए-सहर”, “ख़ानाबदोश”, “मुअत्तर लम्हे” उनकी दिलकश नज़्में हैं। दो शे’र मुलाहिज़ा हों,

ऐ मौसम-ए-ख़ुशगवार आहिस्ता गुज़र
ऐ अक्स-ए-जमाल-ए-यार आहिस्ता गुज़र
ज़िंदों में न हो जाए क़ियामत बरपा
ऐ काफ़िला-ए-बहार आहिस्ता गुज़र

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