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'इश्क़ का लफ़्ज़ों से इज़हार नहीं हो सकता

असीम आमगाँवी

'इश्क़ का लफ़्ज़ों से इज़हार नहीं हो सकता

असीम आमगाँवी

MORE BYअसीम आमगाँवी

    'इश्क़ का लफ़्ज़ों से इज़हार नहीं हो सकता

    दिल का सौदा सर-ए-बाज़ार नहीं हो सकता

    मुल्क की शान में सर अपना झुकाता है जो

    मेरा दा'वा है वो ग़द्दार नहीं हो सकता

    'इश्क़ के ज़ख़्म से महसूस हुआ है मुझ को

    एक ही तीर का ये वार नहीं हो सकता

    आज इंसान जो लफ़्ज़ों में उगल देता है

    साँप उस ज़हर का हक़दार नहीं हो सकता

    बादशाहों का कोई झूट जो ज़ाहिर कर दे

    इस ज़माने का वो अख़बार नहीं हो सकता

    माँग ले जान भी उल्फ़त में तो मैं दे दूँगा

    इस से बढ़ कर मैं वफ़ादार नहीं हो सकता

    जानता कौन है चेहरे से हक़ीक़त आख़िर

    भीड़ कहती है गुनहगार नहीं हो सकता

    ये यक़ीं है कि करिश्मा तो कभी होगा ही

    मंज़िलों पर कोई हर बार नहीं हो सकता

    जिस्म जो दफ़्न है मक़्तूल का इस मलबे में

    फ़ैसला कैसे मिरे यार नहीं हो सकता

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