कुछ ऐसे महव हों आँखें जो खोल कर देखें
कुछ ऐसे महव हों आँखें जो खोल कर देखें
उसी का जल्वा नज़र आए हम जिधर देखें
दम-ए-अख़ीर कोई आरज़ू नहीं दिल में
ये आरज़ू है कि हम तुझ को इक नज़र देखें
उन्हें बनाओ से फ़ुर्सत कहाँ शब-ए-वा'दा
फ़ुज़ूल शाम से क्यों राह ता-सहर देखें
रियाज़ दहर में फूले समाएँ हम क्यूँकर
जो अपने नख़्ल-ए-तमन्ना को बारवर देखें
इधर है मेरा जिगर और उधर है दिल मेरा
वो कश्मकश में पड़े हैं किधर किधर देखें
निसार चश्म-ए-इनायत पे हम हों सो दिल से
वो इस नज़र से अगर हम को इक नज़र देखें
ख़बर मिली है मुझे आज उन के आने की
जो अहल-ए-इश्क़ हों वो आह का असर देखें
जो कुछ हो दिल में हमारे उठा न रक्खें हम
जो कुछ हो आप के दिल में वो आप कर देखें
नहीं पसंद मुझे नुक्ता-चीनियाँ 'हामिद'
किसी के ऐब को क्या देखें हम हुनर देखें
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