उन्हें भी मेरी उल्फ़त की अगर पहचान हो जाए
उन्हें भी मेरी उल्फ़त की अगर पहचान हो जाए
तो ये रिश्ता निभाना वाक़'ई आसान हो जाए
ज़माने के न लग जाऊँ कहीं मैं हाथ ऐसे में
इजाज़त हो तो बंदा 'इश्क़ का दरबान हो जाए
समझना है बहुत मुश्किल मोहब्बत की ये बेताबी
किसे मा'लूम कब ठहरी हवा तूफ़ान हो जाए
तुझे फिर देखने की कोई जुरअत कर नहीं सकता
अगर तू मेरे दिल में एक पल मेहमान हो जाए
उसे फिर और ख़ुशबू की ज़रूरत ही नहीं रहती
अगर कोई भी इंसाँ 'इश्क़ में गुलदान हो जाए
यहाँ हर शख़्स में हम ने कई किरदार देखे हैं
ज़रूरी है कि अब हर आदमी इंसान हो जाए
जनाज़े में मिरे शामिल अगर हों चार काँधे तो
सफ़र ये आख़िरी मेरा ज़रा आसान हो जाए
गुज़ारूँ याद में तेरी 'असीम' एक एक लम्हा मैं
क़सम रब की जो तू भी दिल से मेरी जान हो जाए
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