जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
रोचक तथ्य
('अख़्तर-शीरानी' की रूह से माज़िरत के साथ)
वो इस कॉलेज की शहज़ादी थी और शाहाना पढ़ती थी
वो बे-बाकाना आती थी वो बे-बाकाना पढ़ती थी
बड़े मुश्किल सबक़ थे जिन को वो रोज़ाना पढ़ती थी
वो लड़की थी मगर मज़मून सब मर्दाना पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
क्लासों में हमेशा देर से वो आया करती थी
किताबों के तले फ़िल्मी रिसाले लाया करती थी
वो जब दौरान-ए-लेक्चर बोर सी हो जाया करती थी
तो चुपके से कोई ताज़ा-तरीन अफ़्साना पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
किताबें देख कर कुढ़ती थी महव-ए-यास होती थी
ब-क़ौल उस के किताबों में निरी बकवास होती थी
तअज्जुब है कि वो हर साल कैसे पास होती थी
जो ''इल्लम'' इल्म को मौलाना को ''मलवाना'' पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
बड़ी मशहूर थी कॉलेज में चर्चा आम था उस का
जवानों के दिलों से खेलना बस काम था उस का
यहाँ कॉलेज में पढ़ना तो बराए-नाम था उस का
कि वो आज़ाद लड़की थी वो आज़ादाना पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
अजब अंदाज़ के उश्शाक़ थे उस हीर के मामे
खड़े रहते थे फाटक पर कई माझे कई गामे
जो उस के नाम पर करते थे झगड़े और हंगामे
वो उस तूफ़ान में रहती थी तूफ़ानाना पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
वो सुल्ताना मगर पहली सी सुल्ताना नहीं यारो
सुना है कोई भी अब उस का दीवाना नहीं यारो
कोई इस शम्अ-ए-ख़ाकिस्तर का परवाना नहीं यारो
ख़ुद अफ़्साना बनी बैठी है जो अफ़्साना पढ़ती थी
यही कॉलेज है वो हमदम जहाँ सुल्ताना पढ़ती थी
स्रोत:
Dish antenna (Pg. 173)
- लेखक: Sarfaraaz Shahid
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- संस्करण: 2010
- प्रकाशक: Dost Publications Islamabaad
- प्रकाशन वर्ष: 2010
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