aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

नज़्में

नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।

1930 -2016

प्रमुख लोकप्रिय शायर जिन्हें ‘उत्साही’ का उपनाम जवाहर लाल नेहरू ने दिया था/उर्दू शायरी को हिंदी के क़रीब लाने के लिए विख्यात

बच्चों के लिए लिखी अपनी नज़्मों के लिए जाने जाते हैं

1938 -1990

महाराष्ट्र के शायर, लेखक और अनुवादक. मराठी नज़्मों के उर्दू में पद्यानुवाद भी किए

बच्चों के लिए ख़ूबसूरत नज़्में लिखीं, ‘गुल बूटे’ नाम से काव्य संग्रह प्रकाशित

1884 -1936

दिल्ली की काव्य परम्परा के अंतिम दौर के शायरों में शामिल, अपने ड्रामे ‘कृष्ण अवतार’ के लिए प्रसिद्ध

1954 -2022

दिल्ली में रहने वाले शायर, आकाशवाणी की फ़ारसी सेवा से सम्बद्ध रहे

1928 -2013

अग्रणी आधुनिक शायार और कहानिकार, भारत में आधुनिक उर्दू नज़्म के विकास में महत्वपूर्ण यागदान, पद्मश्री से सम्मानित।

1935 -2015

प्रतिष्ठित प्रगतिशील शायर,आलोचक,पटकथा लेखक,और गीतकार/ फ़िल्म 'बाजार' के गीत 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' के लिए प्रसिद्ध

1900 -1974

नात, ग़ज़ल और भजन के ख़ास रंगों के मशहूर शायर । उनकी मशहूर ग़ज़ल ' ए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ ' को कई गायकों ने आवाज़ दी है

1936 -2019

चर्चित शायर, अफ़साना निगार, लेखक और अनुवादक. विज्ञानं के विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं और विश्व साहित्य से अनेक अनुवाद किये

1927 -2006

प्रमुख आलोचक, अपनी बेबाकी और परम्परा-विरोध के लिए विख्यात

1953

आधुनिक शायर व नासिर काज़मी के पुत्र

1924 -1982

लोकप्रिय शायर, रोज़मर्रा के अनुभवों को शायरी बनाने के लिए पहचाने जाते हैं, ख़ूबसूरत नज़्में और ग़ज़लें कहीं

1914 -1988

अपनी रुबाइयों के लिए मशहूर, नज़्में और ग़ज़लें भी कहीं

1938

भारत की महत्वपूर्ण शायरात में शामिल

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए