Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Akhtarul Iman's Photo'

अख़्तरुल ईमान

1915 - 1996 | मुंबई, भारत

आधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक। फ़िल्म ' वक़्त ' और ' क़ानून ' के संवादों के लिए मशहूर। फ़िल्म 'वक़्त' में उनका संवाद ' जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते ' , आज भी ज़बानों पर

आधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक। फ़िल्म ' वक़्त ' और ' क़ानून ' के संवादों के लिए मशहूर। फ़िल्म 'वक़्त' में उनका संवाद ' जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते ' , आज भी ज़बानों पर

अख़्तरुल ईमान के वीडियो

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
हास्य वीडियो

अख़्तरुल ईमान

अभी तो पर भी नहीं तौलता उड़ान को मैं

अख़्तरुल ईमान

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

अख़्तरुल ईमान

आख़िरी मुलाक़ात

आओ कि जश्न-ए-मर्ग-ए-मोहब्बत मनाएँ हम! अख़्तरुल ईमान

उम्र-ए-गुरेज़ाँ के नाम

उम्र यूँ मुझ से गुरेज़ाँ है कि हर गाम पे मैं अख़्तरुल ईमान

एक लड़का

दयार-ए-शर्क़ की आबादियों के ऊँचे टीलों पर अख़्तरुल ईमान

तन्हाई में

मेरे शानों पे तिरा सर था निगाहें नमनाक अख़्तरुल ईमान

बाज़-आमद --- एक मुन्ताज

तितलियाँ नाचती हैं अख़्तरुल ईमान

बिंत-ए-लम्हात

तुम्हारे लहजे में जो गर्मी ओ हलावत है अख़्तरुल ईमान

मुकाफ़ात

अदम वजूद के मा-बैन फ़ासला है बहुत अख़्तरुल ईमान

अपाहिज गाड़ी का आदमी

कुछ ऐसे हैं जो ज़िंदगी को मह-ओ-साल से नापते हैं अख़्तरुल ईमान

आख़िरी मुलाक़ात

आओ कि जश्न-ए-मर्ग-ए-मोहब्बत मनाएँ हम! अख़्तरुल ईमान

आमादगी

एक इक ईंट गिरी पड़ी है अख़्तरुल ईमान

इज़हार

दबी हुई है मिरे लबों में कहीं पे वो आह भी जो अब तक अख़्तरुल ईमान

काले सफ़ेद परों वाला परिंदा और मेरी एक शाम

जब दिन ढल जाता है, सूरज धरती की ओट में हो जाता है अख़्तरुल ईमान

जुमूद

तुम से बे-रंगी-ए-हस्ती का गिला करना था अख़्तरुल ईमान

डासना स्टेशन का मुसाफ़िर

कौन सा स्टेशन है? अख़्तरुल ईमान

डासना स्टेशन का मुसाफ़िर

कौन सा स्टेशन है? अख़्तरुल ईमान

दिल्ली की गलियाँ तीन मंज़र

पहला मंज़र अख़्तरुल ईमान

फ़ैसला

आज सोचा है कि एहसास को ज़ाइल कर दूँ अख़्तरुल ईमान

बे-तअल्लुक़ी

शाम होती है सहर होती है ये वक़्त-ए-रवाँ अख़्तरुल ईमान

मस्जिद

दूर बरगद की घनी छाँव में ख़ामोश ओ मलूल अख़्तरुल ईमान

महरूमी

तू भी तक़दीर नहीं दर्द भी पाइंदा नहीं अख़्तरुल ईमान

मौत

कौन आवारा हवाओं का सुबुक-बार हुजूम अख़्तरुल ईमान

यादें

लो वो चाह-ए-शब से निकला पिछले-पहर पीला महताब अख़्तरुल ईमान

लग़्ज़िश

झिलमिला कर बुझ गए पागल उम्मीदों के दिए अख़्तरुल ईमान

वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
एक लड़का

एक लड़का दानिश इक़बाल

गूँगी औरत

गूँगी औरत

डासना स्टेशन का मुसाफ़िर

डासना स्टेशन का मुसाफ़िर ख़लील-उर-रहमान

यादें

यादें सय्यद शाहिद महदी

हास्य वीडियो

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अन्य वीडियो

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए