aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1866 - 1955 | दिल्ली, भारत
अरबी, फ़ारसी और संस्कृत के प्रमुख स्कालर
जो चश्म-ए-दिल-रुबा के वस्फ़ में अशआ'र लिखता हूँ
तो हर हर लफ़्ज़ पर अहल-ए-नज़र इक साद करते हैं
जो दिल-ओ-ईमाँ न दें नज़राँ बुतों को देख कर
या ख़ुदा वो लोग इस दुनिया में आए किस लिए
ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं
सच अगर पूछो तो सच्चा आश्ना मिलता नहीं
वफ़ा पर दग़ा सुल्ह में दुश्मनी है
भलाई का हरगिज़ ज़माना नहीं है
सच है इन दोनों का है इक आलम
मेरी तन्हाई तेरी यकताई
अफ़सानचे
Afsanche
1944
Azad Marhoom
Maulvi Mohammad Hussain Azad Ke Halat-e-Zindagi
Bharat Darpan
Musaddas-e-Kaifi
1905
Chand Nazmen
1954
Dariya-e-Latafat
1935
एक ज़िन्दगी एक सदी
1959
इंतिख़ाब-ए-ज़ौक़-ओ-ज़फर
1945
Jag Beeti
इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे है इस में इक तिलिस्म तमन्ना कहें जिसे
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