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दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए
अंधेरों को निकाला जा रहा है
मगर घर से उजाला जा रहा है
साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर
अफ़्सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते
to a drowning person, they on the shores who stand
do lend their sympathy, but not a helping hand
to a drowning person, they on the shores who stand
do lend their sympathy, but not a helping hand
मैं उस के सामने से गुज़रता हूँ इस लिए
तर्क-ए-तअल्लुक़ात का एहसास मर न जाए
it is for this reason, I often pass her by
the pain of our breaking up, may not ever die
it is for this reason, I often pass her by
the pain of our breaking up, may not ever die
तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान
यारों ने इतनी बात पे ख़ंजर उठा लिया
ज़िंदगी नाम है इक जोहद-ए-मुसलसल का 'फ़ना'
राह-रौ और भी थक जाता है आराम के बा'द
तर्क-ए-तअल्लुक़ात को इक लम्हा चाहिए
लेकिन तमाम उम्र मुझे सोचना पड़ा
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सहता रहा जफ़ा-ए-दोस्त कहता रहा अदा-ए-दोस्त
मेरे ख़ुलूस ने मिरा जीना मुहाल कर दिया
इस तरह रहबर ने लूटा कारवाँ
ऐ 'फ़ना' रहज़न को भी सदमा हुआ
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वो आँख क्या जो आरिज़ ओ रुख़ पर ठहर न जाए
वो जल्वा क्या जो दीदा ओ दिल में उतर न जाए
तर्क-ए-वतन के बाद ही क़द्र-ए-वतन हुई
बरसों मिरी निगाह में दीवार-ओ-दर फिरे
क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात भी क्या चीज़ है 'फ़ना'
राह-ए-फ़रार मिल न सकी उम्र-भर फिरे