हर भगवान शाद के शेर
अपना अपना ज़ौक़-ए-तलफ़ है अपनी अपनी फ़िक्र-ए-नज़र है
हर मंज़िल अंजाम-ए-सफ़र है हर मंज़िल आग़ाज़-ए-सफ़र है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़हर निकला है तो अमृत भी कभी निकलेगा
बहर-ए-हस्ती को सलीक़े से खंगाला जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड