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मदन मोहन दानिश

1961 | ग्वालियर, भारत

मदन मोहन दानिश

ग़ज़ल 19

अशआर 10

आसमाँ की नज़र से बचते हुए

इक सितारा उठा लिया मैं ने

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कोई जब शहर से जाए तो रौनक़ रूठ जाती है

किसी की शहर में मौजूदगी से कुछ नहीं होता

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जब अपनी बे-कली से बे-ख़ुदी से कुछ नहीं होता

पुकारें क्यों किसी को हम किसी से कुछ नहीं होता

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ज़िंदगी से मोहब्बत करो टूट कर

मौत का काम दुश्वार करते रहो

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हो गए फिर तुम कहीं आबाद क्या

हिल गई तन्हाई की बुनियाद क्या

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चित्र शायरी 2

 

वीडियो 10

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

मदन मोहन दानिश

मदन मोहन दानिश

मदन मोहन दानिश

मदन मोहन दानिश

मदन मोहन दानिश

मदन मोहन दानिश

डर से पीछा छुड़ा लिया मैं ने

मदन मोहन दानिश

और क्या आख़िर तुझे ऐ ज़िंदगानी चाहिए

मदन मोहन दानिश

कोई ये लाख कहे मेरे बनाने से मिला

मदन मोहन दानिश

हर एक लम्हा मिरी आग में गुज़ारे कोई

मदन मोहन दानिश

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