महावीर उत्तरांचली
ग़ज़ल 4
अशआर 4
काश होता मज़ा कहानी में
दिल मिरा बुझ गया जवानी में
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ये कड़वा सच है यारों मुफ़्लिसी का
यहाँ हर आँख में हैं टूटे सपने
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सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
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है मुश्किल दौर सूखी रोटियाँ भी दूर हैं हम से
मज़े से तुम कभी काजू कभी किशमिश चबाते हो
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