aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शहबाज़ रिज़्वी

1995 | दिल्ली, भारत

नई पीढ़ी के शायरों में शामिल

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शहबाज़ रिज़्वी

ग़ज़ल 25

नज़्म 1

 

अशआर 2

इक रोज़ इक नदी के किनारे मिलेंगे हम

इक दूसरे से अपना पता पूछते हुए

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मिरी ज़मीन पे फैला है आसमान-ए-अदम

अज़ल से मेरे ज़माने पे इक ज़माना है

 

पुस्तकें 1

 

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