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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Iqbal Sajid's Photo'

इक़बाल साजिद

1932 - 1988 | लाहौर, पाकिस्तान

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर , कम उम्र में देहांत

लोकप्रिय पाकिस्तानी शायर , कम उम्र में देहांत

इक़बाल साजिद

ग़ज़ल 43

अशआर 36

अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने की

जी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा

वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा

किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा

प्यासो रहो दश्त में बारिश के मुंतज़िर

मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े

पिछले बरस भी बोई थीं लफ़्ज़ों की खेतियाँ

अब के बरस भी इस के सिवा कुछ नहीं किया

पुस्तकें 2

 

वीडियो 7

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

इक़बाल साजिद

इक़बाल साजिद

इक़बाल साजिद

इक़बाल साजिद

पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का

इक़बाल साजिद

रुख़-ए-रौशन का रौशन एक पहलू भी नहीं निकला

इक़बाल साजिद

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

इक़बाल साजिद

 

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