aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1918 - 2004 | दिल्ली, भारत
महत्वपूर्ण उर्दू स्कालर और शायर , पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान लिखा
जगन्नाथ आज़ाद अटलांटा तशरीफ़ ले गए तो चाय देते हुए मेज़बान ने पूछा कि आज़ाद साहब चीनी कितनी लेंगे? जवाब दिया, “अपने घर में तो एक ही चम्मच लेता हूँ लेकिन बाहर चाय पीने पर 2-3 चम्मच से कम चीनी नहीं लेता।” इस पर मेज़बान ने एक चम्मच चीनी उनकी चाय में डालते
जगन्नाथ आज़ाद पहली दफ़ा पाकिस्तान पहुंचे। मुदीर “नुक़ूश” मुहम्मद तुफ़ैल ने उनके ए’ज़ाज़ में दावत दी जिसमें एहतिरामन सिर्फ़ सब्ज़ियाँ ही रखी गईं। खाना ख़त्म होने के बाद जगन्नाथ आज़ाद ने तुफ़ैल साहब को मुख़ातिब करके कहा, “अगर आपको सब्ज़ियाँ ही खिलानी थीं तो
किसी मुशायरे में सरदार जाफ़री अपना कलाम सुनाने से पहले कहने लगे, “हज़रात! मैं आशिक़ाना रंग में कुछ अशआ’र अ’र्ज़ करना चाहता हूँ, अगरचे मेरा असली रंग नहीं है।” जगन्नाथ आज़ाद ने सरदार की बात काटते हुए पूछा, “तो क्या आपका असली रंग मा’शूक़ाना है?”
जगन्नाथ आज़ाद और बन्ने भाई बम्बई में जाँ निसार अख़्तर के हाँ बैठे हुए थे कि जाँ निसार अख़्तर के बेटे सलीम अंदर दाख़िल हुए। आज़ाद के पूछने पर जब उसने बताया कि वो डाक्टर है तो उन्होंने फ़ौरन बताना शुरू किया, “बेटा मेरी दाईं पिंडली में कभी-कभी दर्द उठता है।” सलीम
जगन्नाथ आज़ाद, बिस्मिल सईदी टोंकी, साहिर होशियारपुरी और कुछ दूसरे शायर मद्रास के एक मुशायरे में शमूलियत के लिए थ्री टायर डिब्बे में सफ़र कर रहे थे। आज़ाद साहब दरमियान में लेटे हुए थे। उन्होंने आवाज़ देकर नीचे लेटे हुए बिस्मिल साहब से कहा, “कुछ पढ़ने के लिए
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