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ग़ज़ल
कल का वादा न करो दिल मिरा बेकल न करो
कल पड़ेगी न मुझे मुझ से ये कल कल न करो
आफ़ताब शाह आलम सानी
कुल्लियात
अब हम फ़क़ीर जी से दिल को उठा के बैठे
उस ख़स्म-ए-जाँ के दर पर तकिया बना के बैठे
मीर तक़ी मीर
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नज़्म
याद-ए-अलीगढ़
वो चाय की प्याली पे यारों के जलसे
वो सर्दी की रातें वो ज़ुल्फ़ों के क़िस्से
आबिदुल्लाह ग़ाज़ी
नज़्म
शिकवा
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं
ये मिरे ज़ौक़-ए-तमाशा का फ़ुसूँ है कि नहीं
रविश सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
घड़ी भर रंग निखरा सूरत-ए-गुल-हा-ए-तर मेरा
उसी हस्ती पे उस गुलशन में था ये शोर-ओ-शर मेरा