aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tahqiir"
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखाउस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे
ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छीजिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही
इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़ेतुझ से हो कर हम ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे
अज़ीज़-तर मुझे रखता है वो रग-ए-जाँ सेये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकताइक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा हो नहीं सकता
जो तिरे इंतिज़ार में गुज़रेबस वही इंतिज़ार के दिन थे
दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँहम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं
वरक़ वरक़ तुझे तहरीर करता रहता हूँमैं ज़िंदगी तिरी तशहीर करता रहता हूँ
तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाबडॉलर में यूँ नचाएगी इक्कीसवीं सदी
आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ोमुँह से इक़रार न करना तो है आदत उस की
शहर की इस भीड़ में चल तो रहा हूँज़ेहन में पर गाँव का नक़्शा रखा है
तदबीर से क़िस्मत की बुराई नहीं जातीबिगड़ी हुई तक़दीर बनाई नहीं जाती
ऐ गर्दिशो तुम्हें ज़रा ताख़ीर हो गईअब मेरा इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ
तदबीर मेरे इश्क़ की क्या फ़ाएदा तबीबअब जान ही के साथ ये आज़ार जाएगा
फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँमिरे अंदर का इंसाँ तक ख़फ़ा है इंतिहा है
भूक में इश्क़ की तहज़ीब भी मर जाती हैचाँद आकाश पे थाली की तरह लगता है
ख़ुश्बू जैसी रात ने मेराअपने जैसा हाल किया था
अपनी तंहाई को आबाद तो कर सकते हैंहम तुझे मिल न सकें याद तो कर सकते हैं
कौन तहलील हुआ है मुझ मेंमुंतशिर क्यूँ हैं अनासिर मेरे
ये बातों में नर्मी ये तहज़ीब-ओ-आदाबसभी कुछ मिला हम को उर्दू ज़बाँ से
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