aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "تہذیب"
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गयाइतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
मुझ को तहज़ीब के बर्ज़ख़ का बनाया वारिसजुर्म ये भी मिरे अज्दाद के सर जाएगा
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन कीवर्ना ये फ़क़त आग बुझाने के लिए हैं
ता'लीम का शोर ऐसा तहज़ीब का ग़ुल इतनाबरकत जो नहीं होती निय्यत की ख़राबी है
किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही हैकि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है
पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगामैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा
ये एक बात समझने में रात हो गई हैमैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करताहमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
जब उस की तस्वीर बनाया करता थाकमरा रंगों से भर जाया करता था
बिछड़ कर उस का दिल लग भी गया तो क्या लगेगावो थक जाएगा और मेरे गले से आ लगेगा
तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंजर से आप ही ख़ुद-कुशी करेगीजो शाख़-ए-नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना-पाएदार होगा
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझेवर्ना हर चीज़ आरज़ी है मुझे
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहींजो देखता हूँ मैं वो भूलता नहीं
सो रहेंगे कि जागते रहेंगेहम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे
इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँख़ुद ही आँगन ख़ुद ही शजर भी हूँ
दिल मोहब्बत में मुब्तला हो जाएजो अभी तक न हो सका हो जाए
कुछ ज़रूरत से कम किया गया हैतेरे जाने का ग़म किया गया है
न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी हैकि उस से हम ने तुझे देखने की करनी है
चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखेंदिल पे आँखें रक्खें तेरी साँसें देखें
शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगाख़ामोशी से अपना रोना रो लूँगा
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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