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ग़ज़ल
कल का वादा न करो दिल मिरा बेकल न करो
कल पड़ेगी न मुझे मुझ से ये कल कल न करो
आफ़ताब शाह आलम सानी
ग़ज़ल
हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं
ये मिरे ज़ौक़-ए-तमाशा का फ़ुसूँ है कि नहीं
रविश सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
घड़ी भर रंग निखरा सूरत-ए-गुल-हा-ए-तर मेरा
उसी हस्ती पे उस गुलशन में था ये शोर-ओ-शर मेरा