aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دسمبر"
रक़्स-ए-दीवानगी आँगन में जो देखा होगाछे दिसम्बर को श्री राम ने सोचा होगा
धड़कता तो है मुस्कुराता नहींदिसम्बर मुझे रास आता नहीं
हम दिसम्बर में शायद मिले थे कहीं..!!जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रैल....
सिसकने सुलगने तड़पने का मौसमदिसम्बर दिसम्बर दिसम्बर दिसम्बर
उसे कहना दिसम्बर आ गया हैदिसम्बर के गुज़रते ही बरस इक और माज़ी की गुफा में डूब जाएगा
दिन उन्नीस दिसम्बर काबे-मअ'नी बे-हँगम था
दिसम्बर की घनी रातों मेंजब बादल बरसता है
सुनो मैं जानती हूँ ये दिसम्बर हैवहाँ सर्दी बहुत होगी
अपने ही क़िस्से सुनाने लगते होदिसम्बर की सर्दी
तू इल्म-ओ-हुनर से ख़ाइफ़ हैतू रौशनियों से डरता है
साल रुख़्सत हुआ लो दिसम्बर चलाहो शुरूअ' अब नए साल का सिलसिला
दिसम्बर की हवा के संगकुछ अंजान सी यादें
गुफ़्तुगू जो होती है साल-ए-नौ से अम्बर कीगर्म होने लगती हैं सर्दियाँ दिसम्बर की
दिसम्बर का महीना और दिल्ली की सर्दीसितारों की झिलमिलाती झुरमुट से परे
उसे क्या फ़र्क़ पड़ता हैदिसम्बर बीत जाने से
गर्म मफ़लर से जो कानों को छुपाया हम नेतालियाँ दे के दिसम्बर को भगाया हम ने
जब दिसम्बर में धुँद उतरती हैअपने असरार में लिपटती हुई, तह-ब-तह हम पे फ़ाश होती हुई
हम ख़िज़ाँ की ग़ुदूद से चल करख़ुद दिसम्बर की कोख तक आए
न जाने इस दिसम्बर मेंकिसे तुम शाल पहनाओ
सर्दी खाते दाँत बजाते आए दिसम्बर बाबारंग-बिरंगे ऊनी कपड़े लाए दिसम्बर बाबा
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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