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नज़्म
बहुत जंजाल हैं पर हो यहाँ तो ''या'' में और ''या'' में
तुम्हारी जो हमासा है भला उस का तो क्या कहना
जौन एलिया
नज़्म
رہيلہ کس قدر ظالم، جفا جو، کينہ پرور تھا
نکاليں شاہ تيموري کي آنکھيں نوک خنجر سے
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दिलों में नफ़रत-ओ-कीना है और बुग़्ज़-ओ-इनाद
मगर लबों पे है बाबा-ए-क़ौम ज़िंदाबाद
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
अज़ीम राज़ों के कोहना ताबूत जिस की कड़ियों में बस रहे थे
उन्हीं हवाओं का डर नहीं था
अली अकबर नातिक़
नज़्म
बुग़्ज़-ओ-कीना और हसद शैतानियत की देन है
हम उसे होली की अग्नी में जला कर फूँक दें
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
नज़्म
दोनों को यहीं मरना दोनों को यहीं जीना
क्यों बैर रहे इन में क्यों इन में रहे कीना