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नज़्म
मिट नहीं सकता कभी मर्द-ए-मुसलमाँ कि है
उस की अज़ानों से फ़ाश सिर्र-ए-कलीम-ओ-ख़लील
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बुल-कलाम-'आज़ाद' से 'ग़ालिब' थे मसरूफ़-ए-सुख़न
'मीर' ओ 'मोमिन' दौर-ए-हाज़िर की ग़ज़ल पे नुक्ता-चीं
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
इक अदीब-ए-नामवर इक अफ़सर-ए-आ'ली-मक़ाम
ज़ात सक्सेना है जिस की राम बाबू जिस का नाम
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
मादर-ए-हिन्द के फ़नकार थे मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
अपने फ़न में बड़े हुश्यार थे मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नज़्म
हड़ताल करने से न टलो मैं नशे में हूँ
ऐ ग़ैर-मुलकियों की कलो मैं नशे में हूँ
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
सुब्ह-दम बाद-ए-सबा की शोख़ियाँ काम आ गईं
लाला-ओ-गुल को बग़ल-गीरी का मौक़ा मिल गया