aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मुलाक़ात पर 20 बेहतरीन शायरी

मुलाक़ात को शायरों ने

कसरत के साथ मौज़ू बनाया है। शायर अपनी ज़िंदगी में जो भी कुछ हो लेकिन शाइरी में ज़रूर आशिक़ बन जाता है। इन शेरों में आप मुलाक़ात के मयस्सर न होने, मुलाक़ात के इंतिज़ार में रहने और मुलाक़ात के वक़्त महबूब के धोका दे जाने जैसी सूरतों से गुज़रेंगे।

टॉप 20 सीरीज़

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी

किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

बशीर बद्र

गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'

क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना

अमीर मीनाई

कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है

रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

शकील बदायूनी

जाने वाले से मुलाक़ात होने पाई

दिल की दिल में ही रही बात होने पाई

शकील बदायूनी

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं

वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं

फ़ातिमा हसन

ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है

हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है

लाला माधव राम जौहर

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ

मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या

जौन एलिया

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है

बात होती है मगर बात नहीं होती है

हफ़ीज़ जालंधरी

सुनते रहे हैं आप के औसाफ़ सब से हम

मिलने का आप से कभी मौक़ा नहीं मिला

नूह नारवी

हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वाले

कितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले

विपुल कुमार

आज तो मिल के भी जैसे मिले हों तुझ से

चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम

जाँ निसार अख़्तर

काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिए

तशरीफ़ लाइएगा मुलाक़ात के लिए

अनवर शऊर

यार सब जम्अ हुए रात की ख़ामोशी में

कोई रो कर तो कोई बाल बना कर आया

अहमद मुश्ताक़

जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया

तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया

शहज़ाद अहमद

बाज़ औक़ात किसी और के मिलने से 'अदम'

अपनी हस्ती से मुलाक़ात भी हो जाती है

अब्दुल हमीद अदम

अब मुलाक़ात हुई है तो मुलाक़ात रहे

मुलाक़ात थी जब तक कि मुलाक़ात थी

हैदर अली आतिश

ज़िंदगी के वो किसी मोड़ पे गाहे गाहे

मिल तो जाते हैं मुलाक़ात कहाँ होती है

अहमद राही

मिटे ये शुबह तो दोस्त तुझ से बात करें

हमारी पहली मुलाक़ात आख़िरी तो नहीं

कृष्ण बिहारी नूर

रोज़ आने पे नहीं निस्बत-ए-इश्क़ी मौक़ूफ़

उम्र भर एक मुलाक़ात चली जाती है

मीर तक़ी मीर

मिलो खुल के तो चोरी की मुलाक़ात रहे

हम बुलाएँगे तुम्हें रात गए रात रहे

नूह नारवी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए