उर्दू शायरी में तल्मीह (संकेत) का प्रयोग कम से कम शब्दों के द्वारा अर्थ को व्यापक बनाने के लिये किया जाता है|
मिर्ज़ा ग़ालिब की दुर्लभ एवं सम्पूर्ण शायरी / उनके सभी छ: दीवान का आनंद लें।
अमीर हमज़ा के रोचक एवं साहसिक कारनामें
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