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फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है

अहमद कमाल परवाज़ी

फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है

अहमद कमाल परवाज़ी

MORE BYअहमद कमाल परवाज़ी

    फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है

    जाने क्यूँ आप को अच्छा भी ग़लत लगता है

    मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब

    देर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है

    आप की हर्फ़-अदाई का ये आलम है कि अब

    पेड़ पर शहद का छत्ता भी ग़लत लगता है

    एक ही तीर है तरकश में तो उजलत करो

    ऐसे मौक़े पे निशाना भी ग़लत लगता है

    शाख़-ए-गुल काट के त्रिशूल बना देते हो

    क्या गुलाबों का महकना भी ग़लत लगता है

    RECITATIONS

    नोमान शौक़

    नोमान शौक़,

    नोमान शौक़

    फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है नोमान शौक़

    स्रोत :
    • पुस्तक : Chandi Ka waraq (पृष्ठ 88)
    • रचनाकार : Ahmad Kamal Parvazi
    • प्रकाशन : Surkhwab Publication (2009)
    • संस्करण : 2009

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